Ishq Men Gairat-e-jazabaat Ne Rone Na Diyaa
Varna Kyaa Baat Thi Kis Baat Ne Rone Na Diyaa
Aap Kahate The Ke Rone Se Na Badalenge Nasiib
Umr Bhar Aap Ki Is Baat Ne Rone Na Diyaa
Ronewaalon Se Kah Do Unakaa Bhi Ronaa Rolen
Jinako Majabuuri-e-haalaat Ne Rone Na Diyaa
Tujhase Milakar Hamen Ronaa Thaa Bahot Ronaa Thaa
Tangii-e-waqt-e-mulaaqaat Ne Rone Na Diyaa
Yaar ko maine ne mujhe yaar ne sone na diya
Raat bhar taal-e-beedar ne sone na diya
Ek shab bulbul-e-betaab ke jaage na naseeb
Pehlu-e-gul ne kabhi khaar ne sone na diya
Raat bhar ki di le betaab ne baaten mujhse
Ranj-o-mehnat ki giraftaar ne sone na diya
Album: Come Alive (1979)
By: Jagjit Singh & Chitra Singh
Lyrics: Sudarshan Faakir
इश्क़ में ग़ैरत ए जज़्बात ने रोने ना दिया
वर्ना क्या बात थी किस बात ने रोने ना दिया
आप कहते थे के रोने से ना बदलेंगे नसीब
उम्र भर आप की इस बात ने रोने ना दिया
रोने वालों से कह दो उनका भी रोना रोलें
जिन को मजबूरिय ए हालात ने रोने ना दिया
तुझ से मिलकर हमें रोना था बोहत रोना था
तंग ए वक़्त ए मुलाक़ात ने रोने ना दिया
एक दो रोज़ का सदमा हो तो रोलें "फ़ाकिर"
हैम को हर रोज़ के सदमात ने रोने ना दिया
वर्ना क्या बात थी किस बात ने रोने ना दिया
आप कहते थे के रोने से ना बदलेंगे नसीब
उम्र भर आप की इस बात ने रोने ना दिया
रोने वालों से कह दो उनका भी रोना रोलें
जिन को मजबूरिय ए हालात ने रोने ना दिया
तुझ से मिलकर हमें रोना था बोहत रोना था
तंग ए वक़्त ए मुलाक़ात ने रोने ना दिया
एक दो रोज़ का सदमा हो तो रोलें "फ़ाकिर"
हैम को हर रोज़ के सदमात ने रोने ना दिया
Listen on YOUTUBE.Com
By: Jagjit Singh and Chitra Singh
By: Begum Akhtar
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें