Dard Ke Phool Bhi Bikhar Jaate Hain
Zakhma Kaise Bhi Ho Bhar Jaate Hain
Jab Dareeche Mein Bhi Ab Koi Nahin Aur Hum Bhi
Sar Jhukaaye Huye Chupchaap Guzar Jaaten Hain
Raasta Roke Khadi Hai Yahi Uljhan Kabse
Koi Pooche To Kehen Kya Ki Kidhar Jaate Hain
Naram Awaaz, Bhali Baaten Muhazzab Lehze
Pehli Barish Mein Hi Ye Rang Utar Jaate Hain
Album: SILSILAY
Singers: Jagjit Singh
Lyricist: Javed Akhtar
दर्द के फूल भी खिलते हैं बिखर जाते हैं
ज़ख़्म कैसे भी हों कुछ रोज़ में भर जाते हैं
उस दरीचे में भी अब कोई नहीं और हम भी
सर झुकाए हुए चुपचाप गुज़र जाते हैं
रास्ता रोके खड़ी है यही उलझन कब से
कोई पूछे तो कहें क्या कि किधर जाते हैं
नर्म आवाज़, भली बातें, मुहज़्ज़ब लहजे
पहली बारिश ही में ये रंग उतर जाते हैं
छत की कड़ियों से उतरते हैं मिरे ख़्वाब मगर
मेरी दीवारों से टकरा के बिखर जाते हैं
एल्बम: सिलसिले
गायक: जगजीत सिंह
शायर: जावेद अख्तर
Watch/Listen on youtube: Pictorial Presentation
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