Ishq Ke Shole
Ko Bhadakaao Ke Kuchh Raat Kate
Dil Ke Angaar
Ko Dahakaao Ke Kuchh Raat Kate
Hijr Men Milane
Shab-e-maah Ke Gam Aaye Hai.n
Chaaraasaazon
Ko Bhii Bulavaao Ke Kuchh Raat Kate
Chashm-o-rukhsar
Ke Azagaar Ko Jaarii Rakho
Pyaar Ke Nagme
Ko Doharaao Ke Kuchh Raat Kate
Koh-e-gam Aur
Garaan Aur Garaan Aur Garaan
Gamzaa-o-tesh
Ko Chamakaao Ke Kuchh Raat Kate
TV Series: Kahkashan
Lyrics: Makhdoom Mohiuddin
Singer: Jagjit Singh
इश्क़ के शोले को भड़काओ कि कुछ रात कटे,
दिल के अंगारे को दहकाओ कि कुछ रात कटे;
हिज्र में मिलने शब-ए-माह के ग़म आए हैं, (शब-ए-माह = चांदनी रात)
चारासाज़ों को भी बुलवाओ कि कुछ रात कटे; (चारासाज़ = चिकित्सक)
चश्म-ओ-रुख़सार के अज़कार को जारी रखो, (चश्म-ओ-रुख़सार = आँखों और गालों), (अज़कार = चर्चायें)
प्यार के नग़मे को दोहराओ कि कुछ रात कटे;
कोह-ए-ग़म और गराँ और गराँ और गराँ, (कोह-ए-ग़म = दुःख का पहाड़, गराँ = भारी)
ग़मज़दों तेशे को चमकाओ कि कुछ रात कटे; (तेशे = तलवार)
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कोई
जलता ही नहीं कोई पिघलता ही नहीं
मोम बन
जाओ पिघल जाओ कि कुछ रात कटे
आज हो
जाने दो हर एक को बद्-मस्त-ओ-ख़राब
आज एक
एक को पिलवाओ कि कुछ रात कटे
TV धारावाहिक: कहकशाँ
शायर: मख़्दूम मोइउद्दीन
गायक: जगजीत सिंह
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