Angdai Per Angdai Leti Hai Raat Judaaee Kee,
Tum Kya Samjho Tum Kya Jaano Baat Meri Tanhaayee Kee
Kaun Siyahi Ghol Raha Tha Waqt Ke Behte Dariya Mein,
Maine Aankh Jhuki Dekhi Hai Aaj Kisi Harjee Kee
Wasl Ki Raat Na Jaane Kyoon Israar Tha Unko Jaane Par,
Waqt Se Pehle Dhoob Gaye Taaron Ne Badi Daanaee Kee
Udte Udte Aas Ka Panchi Door Ufaq Mein Doob Gaya,
Rote Rote Baith Gayee Awaaz Kisi Saudaaee Kee
Writer~ Qateel Shifai
अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की
तुम क्या समझो तुम क्या जानो बात मिरी तन्हाई की
कौन सियाही घोल रहा था वक़्त के बहते दरिया में
मैंने आँख झुकी देखी है आज किसी हरजाई की
टूट गये सय्याल नगीने फ़ूट बहे रुख्सारों पर
देखो मेरा साथ न देना बात है यह रूसवाई कि
वस्ल(मिलन) की रात न जाने क्यूँ इसरार(जिद) था उनको जाने पर
वक़्त से पहले डूब गए तारों ने बड़ी दानाई(बुद्धिमानी)की
उड़ते-उड़ते आस का पंछी दूर उफुक(क्षितिज) में डूब गया
रोते-रोते बैठ गई आवाज़ किसी सौदाई की
शायर~क़तील शिफ़ाई
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