Tumhari Anjuman Se Uthke Diwane Kahaan Jaate,
Junba Basta Huye Hamse Wo Ab Sare Kahaan Jaate
Tumhari Berukhi Ne Laaj Rakh Li Waada-faan-e Ki,
Tum Aankhon Se Pila Dete To Paimane Kahaan Jaate
Chalo Achchha Hua Kaam Aa Gayi Diwaangi Apni,
Warna Ham Zamaane Bhar Ko Samjhaane Kahaan Jaate
Lyricist: Qatil Shifai
तुम्हारी अंजुमन से उठ के दीवाने कहाँ जाते जो वाबस्ता हुए तुम से वो अफ़्साने कहाँ जाते तुम्हारी बेरुख़ी ने लाज रख ली बादाख़ाने की तुम आँखों से पिला देते तो मैख़ाने कहाँ जाते? चलो अच्छा हुआ, काम आ गई दीवानगी अपनी वगरना हम ज़माने भर को समझाने कहाँ जाते?
Not included in album A Milestone by Jagjit Singh निकल कर दैर-ओ-काबा से, अगर मिलता न मैख़ाना तो ठुकराए हुए इनसाँ, ख़ुदा जाने कहाँ जाते! क़तील अपना मुक़द्दर ग़म से बेगाना अगर होता तो फिर अपने पराए हम से पहचाने कहाँ जाते?
गीतकार: कतील शिफाई
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Jagjit Singh/Chitra Singh
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