शुक्रवार, 4 जुलाई 2014

Manjil Na De Charaag Na De Hauslaa To De



Manzil Na De Charaag Na De Hauslaa To De,
Tinke Ka Hi Sahee Tu Magar Aasraa To De


Maine Ye Kab Kaha Ke Mere Haq Mein Ho Jawaab,
Lekin Khamosh Kyoon Hai Tu Koi Faislaa To De



Barson Main Tere Naam Pe Khaata Raha Fareb,
Mere Khuda Kahan Hai Tu Apna Pata To De


Beshaq Mere Naseeb Pe Rakh Apnaa Ikhtiyaar,
Lekin Mere Naseeb Mein Kya Hai Bata To De

Lyrics: Rana Sahari

मंजिल न दे चराग न दे होसला तो दे,
तिनके के का ही सही तू मगर आसरा तो दे.

मैंने ये कब कहा के मेरे हक मी हो जवाब,
लेकिन खामोश क्यों हे तूं कोई फैसला तो दे.

बरसों में तेरे नाम पर खाता रह फरेब,
मेरे खुदा कहाँ है तूं अपना पता तो दे.

बेशक मेरे नसीब पर रख अपना इख्तियार,
लेकिन मेरे नसीब मैं क्या है बता तो दे.
शायर: राना सहरी

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Jagjit Singh/Chitra Singh
 
 
 
 

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