Kabhi To Khul
Ke Baras Ab Ke Meherbaan Ki Tarah,
Mera Wazood Hai
Jalte Huye Makan Kee Tarah
Main Ik Khwaab
Sahee Aapki Amaanat Hoon,
Mujhe Sambhaal
Ke Rakhiyegaa Jism-o-jaan Ki Tarah
Kabhi To Soch
Ke Wo Saksh Kis Kadar Tha Buland,
Jo Bichh Gaya
Tere Kadmon Mein Aasmaan Ki Tarah
Bula Rahaa Hai
Mujhe Fir Kisi Badan Ka Basanth,
Guzar Na Jaaye
Ye Ruth Bhi Kahin Khizaan Ki Tarah
Album: FAVORITS
Music: Jagjit Singh
Singers: Chitra Singh
Poet: Prem
Warbartani
कभी तो खुल के बरस अब्र-ए-मेहरबाँ की तरह
मेरा वजूद है जलते हुए मकाँ की तरह
भरी बहार का सीना है ज़ख़्म ज़ख़्म मगर
सबा ने गाये हैं लोरी शफ़ीक़ मन की तरह
वो कौन था जो बरहना बदन चट्टानों से
लिपट गया था कभी बह्र-ए-बेकराँ की तरह
सकूत-ए-दिल तो जज़ीरा है बर्फ़ का लेकिन
तेरा ख़ुलूस है सूरज के सायेबाँ की तरह
मैं इक ख़्वाब सही आप की अमानत हूँ
मुझे सँभाल के रखियेगा जिस्म-ओ-जाँ की तरह
कभी तो सोच के वो शख़्स किस क़दर था बुलंद
जो बिछ गया तेरे क़द्मों में आस्माँ की तरह
बुला रहा है मुझे फिर किसी बदन का बसंत
गुज़र न जाये ये रुत भी कहीं ख़िज़ाँ की तरह
लहू है निस्फ़ सदी का जिस के आबगीने में
न देख "प्रेम" उसे चश्म-ए-अर्ग़वाँ
की तरह
एल्बम: फेवरिट्स
गायक: चित्रा
सिंह
संगीत: जगजीत सिंह
शायर: प्रेम वरबरतानी
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