Kabhi Yun Bhi
Aa Meri Aankh Mein,
Ke Meri Nazar
Ko Khabar Na Ho,
Mujhe Ek Raat
Nawaz De,
Magar Us Ke
Baad Saher Na Ho,
Who Bada Nahi
Who Karim Hai,
Mujhe Yeh
Shifat Bhi Ata Kare,
Tujhe Bhoolne
Ki Dua Karo,
To Dua Mein
Meri Asar Na Ho,
Kabhi Din Dhoop
Mein Zhum Ke,
Kabhi Shab Ke
Phool Ko Chum Ke,
Yuh Hi Saath
Saath Chale Sada,
Kabhi Khatm
Aapna Safar Na Ho,
Mere Paas Mere
Habib Aa,
Jara Aur Dil Ke
Karib Aa,
Tujhe Dhadhkano
Me Basa Lu Mein,
Ke Bichadne Ka
Kabhi Daar Na Ho
Album: FAVORITS
Singers: Jagjit Singh
Poet: Bashir Badr
कभी यूँ भी आ मेरी आँख में, कि मेरी नज़र को ख़बर न
हो
मुझे एक रात नवाज़ दे, मगर उसके बाद सहर न हो
वो बड़ा रहीमो-करीम है, मुझे ये सिफ़त भी अता करे
तुझे भूलने की दुआ करूँ तो मेरी दुआ में असर न
हो
मेरे बाज़ुओं में थकी-थकी, अभी महवे- ख़्वाब है
चाँदनी
न उठे सितारों की पालकी, अभी आहटों का गुज़र न हो
ये ग़ज़ल है जैसे हिरन की आँखों में पिछली रात
की चाँदनी
न बुझे ख़राबे की रौशनी, कभी बे-चिराग़ ये घर न हो
कभी दिन की धूप में झूम कर, कभी शब के फूल को चूम कर
यूँ ही साथ-साथ चले सदा, कभी ख़त्म अपना सफ़र न हो
मेरे पास मेरे हबीब आ, ज़रा और दिल के करीब आ
तुझे धड़कनों में बसा लूँ मैं, कि बिछड़ने का कभी डर न
हो
एल्बम: फेवरिट्स
गायक: जगजीत सिंह
शायर: बशीर बद्र
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