बुधवार, 1 फ़रवरी 2017

Apni Marzi Se Kahan Apni Safar Ke Hum Hain


Apni Marzi Se Kahan Apni Safar Ke Hum Hain
Rukh Hawaaon Ka Jidhar Ka Hai Udhar Ke Hum Hain

Pehle Har Cheez Thi Apni Magar Ab Lagta Hai
Apne Hi Ghar Mein Kisi Doosre Ghar Ke Hum Hain

Waqt Ke Saath Mitti Ka Safar Sadiyon Se
Kisko Maaloom Kahan Ke Hain Kidhar Ke Hum Hain

Chalte Rehte Hain Ke Chalnaa Hai Musaafir Ka Naseeb
Sochte Rehte Hain Kis Raah Guzar Ke Hum Hain
Album: MIRAJE
Singers: Jagjit Singh
Lyricist: Nida Fazli
अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं;
रुख़ हवाओं का जिधर का है, उधर के हम हैं!
पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है;
अपने ही घर में, किसी दूसरे घर के हम हैं!
वक़्त के साथ है मिट्टी का सफ़र सदियों से;
किसको मालूम, कहाँ के हैं, किधर के हम हैं!
जिस्म से रूह तलक अपने कई आलम हैं;
कभी धरती के, कभी चाँद नगर के हम हैं!
चलते रहते हैं कि चलना है मुसाफ़िर का नसीब;
सोचते रहते हैं, किस राहगुज़र के हम हैं!
गिनतियों में ही गिने जाते हैं हर दौर में हम;
हर क़लमकार की बेनाम ख़बर के हम हैं!
एल्बम: मिराज
गायक: जगजीत सिंह
शायर: निदा फ़ाज़ली
Watch/Listen on youtube: Pictorial Presentation

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