Phir Kuchh Is Dil Ko Beqarari Hai;
Seena Zoya-e-zakhm-e-kaaree Hai!
Phir Jigar Khodane Laga Naakhun;
Aamad-e-fasl-e-laala Qaaree Hai!
Phir Usee Bewafaa Pe Marte Hain;
Phir Wohee Zindagee Hamaaree Hai!
Be_khudee Be_sabab Naheen 'ghalib';
Kuchch To Hai Jiskee Pardaadaaree Hai!
Album: Mirza Ghalib
Singers: Jagjit Singh
Lyricist: Mirza Ghalib
फिर कुछ इस दिल को बेक़रारी है;
सीना ज़ोया-ए-ज़ख़्म-ए-कारी है!
फिर जिगर खोदने लगा नाख़ुन;
आमद-ए-फ़स्ल-ए-लालाकारी है!
क़िब्ला-ए-मक़्सद-ए-निगाह-ए-नियाज़;
फिर वही पर्दा-ए-अम्मारी है!
चश्म-ए-दल्लल-ए-जिन्स-ए-रुसवाई;
दिल ख़रीदार-ए-ज़ौक़-ए-ख़्वारी है!
वही सदरन्ग नाला फ़र्साई;
वही सदगूना अश्क़बारी है!
दिल हवा-ए-ख़िराम-ए-नाज़ से फिर;
महश्रिस्ताँ-ए-बेक़रारी है!
जल्वा फिर अर्ज़-ए-नाज़ करता है;
रोज़-ए-बाज़ार-ए-जाँसुपारी है!
फिर उसी बेवफ़ा पे मरते हैं;
फिर वही ज़िन्दगी हमारी है!
फिर खुला है दर-ए-अदालत-ए-नाज़;
गर्म बाज़ार-ए-फ़ौजदारी है!
हो रहा है जहाँ में अँधेर;
ज़ुल्फ़ की फिर सरिश्तादारी है!
फिर दिया पारा-ए-जिगर ने सवाल;
एक फ़रियाद-ओ-आह-ओ-ज़ारी है!
फिर हुए हैं गवाह-ए-इश्क़ तलब;
अश्क़बारी का हुक्मज़ारी है!
दिल-ओ-मिज़्श्गाँ का जो मुक़दमा था;
आज फिर उस की रूबक़ारी है!
बेख़ुदी बेसबब नहीं "ग़ालिब";
कुछ तो है जिस की पर्दादारी है !
एल्बम: मिर्ज़ा ग़ालिब
गायक: जगजीत सिंह
शायर: मिर्ज़ा ग़ालिब
Watch/Listen on youtube: Pictorial Presentation
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें