मंगलवार, 24 जनवरी 2017

Abhi Wo Kamsin Ubhar Raha Hai



Abhi Hai Us Par Shabab Aadha
Abhi Jigar Mein Khalish Hai Aadhi
Abhi Hai Mujh Par Itab Aadha
Mere Sawal-e-wasal Par
Tum Nazar Zhuka Kar Khade Hue Ho
Tumhi Batao Yeh Baat Kya Hai
Sawal Pura Jawab Aadha
Laga Ke Lare Pe Le To Aaya Hu
Shekh Sahab Ko Maykade Tak
Agar Yeh Do Ghut Aaj Pile
Milega Mujhko Sawab Aadha
Kabhi Sitam Hai, Kabhi Tagaphul
Yeh Safh Jahir Hai Mujhe Ab Tak
Hua Hu Men Kamyab Aadha
Album: FAVORITS
Singers: Jagjit Singh
Poet: Kunwar Mohinder Singh Bedi 'Sahar'
अभी वो कमसिन उभर रहा है अभी है उसपर शबाब आधा
अभी जिगर में ख़लिश है आधी, अभी है मुझपर इताब आधा
ख़लिश - चुभन, इताब - गुस्सा
मेरे सवाल-ऐ-वस्ल पर तुम नज़र झुका कर खड़े हुए हो
तुम्ही बताओ ये बात क्या है सवाल पूरा जवाब आधा
सवाल-ऐ-वस्ल - मिलन का प्रश्न
लगा के लारे पे ले तो आया हूँ शेख़ साहब को मैकदे तक
अगर ये दो घूँट आज पी लें मिलेगा मुझको सवाब आधा
सवाब - पुण्य
कभी सितम है, कभी करम है, कभी तवज्जो, कभी तग़ाफ़ुल
ये साफ़ ज़ाहिर है मुझपे अब तक, हुआ हूँ मैं कामयाब आधा
तग़ाफ़ुल - उपेक्षा, बेरुख़ी
हिज़ाब-ओ-जल्वे की कश्मकश में उठाया उसने नक़ाब आधा
इधर हुवैदा सहाब आधा, उधर अयाँ माहताब आधा
हिज़ाब-ओ-जल्वे की कश्मकश - चेहरा छुपाऊँ या दिखाऊँ की दुविधा,
हुवैदा - प्रकट, ज़ाहिर; सहाब - बादल,
अयाँ - स्पष्ट, ज़ाहिर, माहताब - चन्द्रमा
लपक के मुझ को गले लगाया ख़ुदा की रहमत ने रोज़-ए-महशर
अभी सुनाया था मोहतसिब ने मिरे गुनह का हिसाब आधा
रोज़-ए-महशर - फैसले के दिन, क़यामत के दिन;
मोहतसिब - द्धारपाल
किसी की चश्म-ए-सुरूर आवर से अश्क आरिज़ पे ढल रहा है
अगर शुऊर-नज़र है देखो, शराब आधी गुलाब आधा
चश्म-ए-सुरूर - नशीली आँखें, आवर - आता हुआ,
आरिज़ - गाल, शुऊर-नज़र - देखने की योग्यता
पुराने वक़्तों के लोग ख़ुश हैं मगर तरक़्क़ी पसंद ख़ामोश
तिरी ग़ज़ल ने किया है बरपा 'सहर' अभी इंक़िलाब आधा
एल्बम: फेवरिट्स
गायक: जगजीत सिंह
शायर: कुँवर मोहिन्दर सिंह बेदी 'सहर'
Watch/Listen on youtube: Pictorial Presentation

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