Khudaa Humko Aisee Khudaayee Na De
Ke Apne Siwa Kuchch Dikhaayee Na De
Khatawaar Samjhegee Duniyaan Tujhe
Ke Itnee Ziyaada Safaayee Na De
Hanso Aaj Itnaa Ke Is Shor Mein
Sada Siskiyon Ki Sunaayee Na De
Abhi To Badan Mein Lahoo Hai Bahot
Kalam Cheen Le Roshnaayee Na De
Khuda Aise Ehsaas Ka Naam Hai
Rahe Saamne Aur Dikhayee Na De
Album: Hope
Singers: Chitra Singh
Lyricist: Bashir Badr
ख़ुदा हम को ऐसी ख़ुदाई न दे;
कि अपने सिवा कुछ दिखाई न दे!
ख़तावार समझेगी दुनिया तुझे;
अब इतनी भी ज़्यादा सफ़ाई न दे!
हँसो आज इतना कि इस शोर में;
सदा सिसकियों की सुनाई न दे!
अभी तो बदन में लहू है बहुत;
कलम छीन ले रोशनाई न दे!
मुझे अपनी चादर से यूँ ढाँप लो;
ज़मीं आसमाँ कुछ दिखाई न दे!
ग़ुलामी को बरकत समझने लगें;
असीरों को ऐसी रिहाई न दे!
मुझे ऐसी जन्नत नहीं चाहिए;
जहाँ से मदीना दिखाई न दे!
मैं अश्कों से नाम-ए-मुहम्मद लिखूँ;
क़लम छीन ले रोशनाई न दे!
ख़ुदा ऐसे एहसास का नाम है;
रहे सामने और दिखाई न दे!
एल्बम: होप
गायक: चित्रा सिंह
शायर: बशीर बद्र
Watch/Listen on youtube: Pictorial Presentation
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