Din Kuch Aise Gujaarta Hai Koi
Jaise Ahamsa Utaarta Hai Koi
Aayina Dekhkar Tasalli Huyi
Humko Is Ghar Main Jaanta Hai Koi
Pak Gaya Hai Shejar Pe Fal Shaayad
Fir Se Patthar Uchaalta Hai Koi
Der Se Goonjte Hain Sannaate
Jaise Humko Pukaarta Hai Koi
Album: MARASIM
Singers: Jagjit Singh
Poet: Gulzar
दिन कुछ ऐसे गुजारता है कोई;
जैसे एहसान उतारता है कोई!
आईना देख के तसल्ली हुई;
हम को इस घर में जानता है कोई!
पक गया है शजर पे फल शायद;
फिर से पत्थर उछालता है कोई!
फिर नजर में लहू के छींटे हैं;
तुम को शायद मुघालता है कोई!
देर से गूँजतें हैं सन्नाटे;
जैसे हम को पुकारता है कोई!
एल्बम: मरासिम
गायक: जगजीत सिंह
शायर: गुलज़ार
Watch/Listen on YouTube: Pictorial Presentation
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