Mai Chahta Bhi Yehi Tha, Wo Bewafaa Nikle
Use Samajhne Ka Koi To Silsila Nikle
Kitaab-e-maazi Ke Panne Ulat Ke Dekh Zara
Na Jaane Kaun Sa Panna Muda Hua Nikle
Jo Dekhne Mein Bahut Hee Karib Lagtaa Hai
Usi Ke Baare Mein Socho To Faasila Nikle
Lyrics: Waseem Barelavi
मैं चाहता भी यही था,वो बेवफ़ा निकले उसे समझने का कोई तो सिलसिला निकले किताब-ए-माज़ी के पन्ने उलट के देख ज़रा न जाने कौन सा पन्ना मुड़ा हुआ निकले {असली शेर :- किताब-ए-माज़ी के औराक़ उलट के देख ज़रा, न जाने कौन सा सफहा मुड़ा हुआ निकले!} जो देखने में बहुत ही क़रीब लगता है उसी के बारे में सोचो,तो फ़ासला निकले
शायर: वसीम बरेलवी
*****Also in:
Album: Echoes (1986)
An Evening with Jagjit Singh
Listen/watch on Youtube:
Jagjit Singh
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