Phir Usii Raahaguzar Par Shaayad
Ham Kabhii Mil Saken Magar Shaayad
Jaan Pahachaan Se Kyaa Hogaa
Phir Bhii Ai Dost Gaur Kar Shaayad
Muntazir Jin Ke Ham Rahe Un Ko
Mil Gaye Aur Hamasafar Shaayad
Lyrics: Ahmad Faraaz
फिर उसी रहगुज़र पर शायद
हम कभी मिल सकें मगर शायद
जान पहचान से ही क्या होगा
फिर भी ऐ दोस्त ग़ौर कर शायद
जिन के हम मुन्तज़िर रहे उनको
मिल गये और हमसफ़र शायद
***Not in Album: (अजनबीयत की धुंध छंट जाए
चमक उठे तेरी नज़र शायद
जिंदगी भर लहू रुलाएगी
यादे -याराने-बेख़बर शायद
जो भी बिछड़े हैं कब मिले हैं "फ़राज़"
फिर भी तू इन्तज़ार कर शायद)
हम कभी मिल सकें मगर शायद
जान पहचान से ही क्या होगा
फिर भी ऐ दोस्त ग़ौर कर शायद
जिन के हम मुन्तज़िर रहे उनको
मिल गये और हमसफ़र शायद
***Not in Album: (अजनबीयत की धुंध छंट जाए
चमक उठे तेरी नज़र शायद
जिंदगी भर लहू रुलाएगी
यादे -याराने-बेख़बर शायद
जो भी बिछड़े हैं कब मिले हैं "फ़राज़"
फिर भी तू इन्तज़ार कर शायद)
शायर: अहमद फ़राज़
*****Also in:
Album: Echoes (1986)
An Evening with Jagjit Singh
Listen/watch on Youtube:
From Album: Echoes(1986)
Jagjit Singh & Gulzar
Live at An Evening with Jagjit Singh
By: Ghulam Ali
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