Aaj Ke Daur Mein Ae Dost Ye Manjhar Kyoon Hai,
Zakhm Har Sar Pe Har Ik Haath Mein Paththar Kyoon Hai.
Jab Haqeeqat Hai Ke Har Zarre Mein Tu Rehta Hai,
Fir Zamin Par Kahin Masjid Kahin Mandir Kyoon Hai
Apna Anjaam To Maaloom Hai Sabko Phir Bhi
Apnee Nazron Mein Har Insaan Sikandar Kyoon Hai
Zindagi Jeene Ke Qaabil Hi Nahin Ab "faakir"
Warna Har Aankh Mein Ashkon Ka Samandar Kyoon Hai
Album: Cry for Cry (1995)
By: Jagjit Singh
Lyrics: Sudarshan Fakir
आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंज़र क्यूँ है
ज़ख़्म हर सर पे हर इक हाथ में पत्थर क्यूँ है
जब हक़ीक़त है के हर ज़र्रे में तू रहता है
फिर ज़मीं पर कहीं मस्जिद कहीं मंदिर क्यूँ है
अपना अंजाम तो मालूम है सब को फिर भी
अपनी नज़रों में हर इन्सान सिकंदर क्यूँ है
ज़िन्दगी जीने के क़ाबिल ही नहीं अब "फ़ाकिर"
वर्ना हर आँख में अश्कों का समंदर क्यूँ है
ज़ख़्म हर सर पे हर इक हाथ में पत्थर क्यूँ है
जब हक़ीक़त है के हर ज़र्रे में तू रहता है
फिर ज़मीं पर कहीं मस्जिद कहीं मंदिर क्यूँ है
अपना अंजाम तो मालूम है सब को फिर भी
अपनी नज़रों में हर इन्सान सिकंदर क्यूँ है
ज़िन्दगी जीने के क़ाबिल ही नहीं अब "फ़ाकिर"
वर्ना हर आँख में अश्कों का समंदर क्यूँ है
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By: Jagjit Singh
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