Hairat-e-ishq nahin, shauq junoonposh nahin
Be-hijaban na chale aao mujhe hosh nahin.
Be-hijaban na chale aao mujhe hosh nahin.
Rind Jo Mujh Ko Samjhate Hai Unhe Hosh Nahin,
Mayekada-Saaz Hu Main, Mayekada-Bardosh Nahi,
Ye Alag Baat Hai Saaki, Ke Muhe Hosh Nahi,
Warna Main Kuch Bhi Hu, Ehsaan Framosh Nahi,
Paanv Unth Sakte Nahi Manjile-Jana Ke Khilaf,
Aur Agar Hosh Ki Punchho, To Mujhe Hosh Nahi,
Ab To Tasir-E-Game Ishq Yaha Tak Phanhuchi,
Ke Idhar Hosh Agar Hai, To Udhar Hosh Nahi,
Jo Mujhe Dekhta Hai, Naam Tera Leta Hai,
Main To Khamosh Hun, Halat Meri Khamosh Nahi,
Mehab-E-Tasbir To Sab Hain, Magar Idraak Kahan,
Zindagi Khud Hi Ibadat Hai, Magar Hosh Nahi,
Kabhi Un mad Bhari Aankho Se, Piya Tha Ek Jaam,
Aaj Tak Hosh Nahi, Hosh Nahi, Hosh Nahi,
Milke Ek Baar Gaya Hai, Koi Jis Din Se "Jigar",
Mujh Ko Ye Veham, Shaayed Mera Ab Hosh Nahi
Album: Eternity (1978)
By: Jagjit Singh
Lyrics: Jigar Muradabadi
*red lines/ashAar are written by - Abdul Hameed Adam
*First Green couplet is not used in Album by Jagjit Singh
रिंद जो मुझको समझते हैं उन्हे होश नहीं
मैक़दा-साज़ हूँ मै मैक़दा-बरदोश नहीं
और अगर होश की पूछो तो मुझे होश नहीं
अब तो तासीर-ए-ग़म-ए-इश्क़ यहाँ तक पहुंची
के इधर होश अगर है तो उधर होश नहीं
महव-ए-तस्बीह तो सब हैं मगर इद्राक कहाँ
ज़िंदगी ख़ुद ही इबादत है मगर होश नहीं
मैक़दा-साज़ हूँ मै मैक़दा-बरदोश नहीं
बरदोश - ग़ुलाम
पाँव उठ सकते नहीं मंज़िल-ए-जाना के ख़िलाफ़और अगर होश की पूछो तो मुझे होश नहीं
अब तो तासीर-ए-ग़म-ए-इश्क़ यहाँ तक पहुंची
के इधर होश अगर है तो उधर होश नहीं
महव-ए-तस्बीह तो सब हैं मगर इद्राक कहाँ
ज़िंदगी ख़ुद ही इबादत है मगर होश नहीं
महव - माला
तस्बीह - तल्लीन
इद्राक - ज्ञान-बोध
मिल के इक बार गया है कोई जिस दिन से 'जिगर'मुझको ये वहम है शायद मेरा आग़ोश नहीं
~जिगर मुरादाबादी
ये अलग बात है साक़ी के मुझे होश नहींवर्ना मै कुछ भी हूँ एहसानफ़रामोश नहीं
जो मुझे देखता है नाम तेरा लेता है
मै तो ख़ामोश हूँ हालत मेरी ख़ामोश नहीं
कभी उन मदभरी आँखों से पिया था इक जाम
आज तक होश नहीं होश नहीं होश नहीं
~अब्दुल हमीद अदम
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By: Jagjit Singh
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