शुक्रवार, 20 मार्च 2015

Chand Se Phool Se Ya Meri Zubaan Se Suniye



Chand Se Phool Se Ya Meri Zubaan Se Suniye
Har Taraf Aap Ka Qissa Jahaan Se Suniye

Sab Ko Aataa Hai Duniyaa Ko Sata Kar Jina
Zindagi Kya Muhabbat Ki Dua Se Suniye

Meri Aavaaz Pardaa Mere Chehare Kaa
Main Huun Khamosh Jahan Mujhako Vahan Se Suniye

Kyaa Zaruurii Hai Ki Har Pardaa Uthaayaa Jaaye
Mere Haalaat Apane Apane Makaan Se Suniye

Album: Insight (1994)
By: Jagjit Singh
Lyrics: Nida Fazli



चाँद से फूल से या मेरी ज़बाँ से सुनिये
हर तरफ आपका क़िस्सा हैं जहाँ से सुनिये

सबको आता नहीं दुनिया को सजा कर जीना
ज़िन्दगी क्या है मुहब्बत की ज़बाँ से सुनिये

मेरी आवाज़ ही पर्दा है मेरे चेहरे का
मैं हूँ ख़ामोश जहाँ, मुझको वहाँ से सुनिये

क्या ज़रूरी है के हर पर्दा उठाया जाए
मेरे हालात भी अपने ही मकाँ से सुनिये

कौन पढ़ सकता हैं पानी पे लिखी तहरीरें
किसने क्या लिक्ख़ा हैं ये आब-ए-रवाँ से सुनिये

चाँद में कैसे हुई क़ैद किसी घर की ख़ुशी
ये कहानी किसी मस्ज़िद की अज़ाँ से सुनिये


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By: Jagjit Singh

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