Mai.n Royaa Pardes Me.n Bhiigaa Maa.n Kaa Pyaar
Dukh Ne Dukh Se Baat Kii Bin Chitthii Bin Taar
Chootaa Kar Ke Dekhiye Jiivan Kaa Vistaar
Aa.nkho.n Bhar Aakaash Hai, Baaho.n Bhar Sa.nsaar
Chale The Tan Ke Naath Ko Ghuume.n Bastii Naath
Har Chaadar Ke Ghere Se Baahar Nikale Paa.nv
Sab Kii Puujaa Ek Sii, Alag Alag Har Riit
Masjiid Jaaye Maulavii, Koyal Gaay Giit
Puujaa Ghar Me.n Muurtii, Miiraa Ke Sa.ng Shyaam
Jisakii Jitanii Chaahatii, Utane Us Ke Naam
Nadiyaa.n Sii.nche Khet Ko, Totaa Kutare Aam
Suuraj Deke Taar Saa Sab Ko Baa.nt Ke Khaaye
Saato.n Din Bhagavaan Ke Kyaa Ma.ngal Kyaa Piir
Jis Din Soye Der Tak Bhuukaa Rahe Fakiir
Achchhii Sa.ngat Baith Kar Sa.ngii Badal Jaaye.n
Jaise Mil Kar Aam Se Motii Ho Ga_ii Dhuup
Sapanaa Jharanaa Luut Kar Jaagii Aadhii Pyaas
Paanaa Khonaa Khojanaa Saa.nso.n Kaa Itihaas
Chaahe Giitaa Baa.nchiye Yaa Pa.diye Quraan
Meraa Teraa Pyaar Hii Har Pustak Aa Gyaan
Album: Insight (1994)
By: Jagjit Singh
Lyrics: Nida Fazli
मैं रोया परदेस में, भीगा माँ का प्यार
दुःख ने दुःख से बात की, बिन चिट्ठी बिन तार
छोटा करके देखिये, जीवन का विस्तार
आँखों भर आकाश है, बाँहों भर संसार
ले के तन के नाप को, घूमे बस्ती गाँव
हर चादर के घेर से, बाहर निकले पाँव
सब की पूजा एक सी, अलग अलग हर रीत
मस्ज़िद जाए मौलवी, कोयल गाए गीत
पूजा-घर में मूर्ति, मीरा के संग श्याम
जिसकी जितनी चाकरी, उतने उसके दाम
नदिया सींचे खेत को, तोता कुतरे आम
सूरज ठेकेदार सा, सबको बाँटे काम
सातों दिन भगवान के, क्या मंगल क्या पीर
जिस दिन सोए देर तक, भूखा रहे फ़क़ीर
अच्छी संगत बैठकर, संगी बदले रूप
जैसे मिलकर आम से, मीठी हो गयी धूप
सपना झरना नींद का, जागी आँखें प्यास
पाना, खोना, खोजना, सांसो का इतिहास
चाहे गीता बाँचिये, या पढ़िये कुरान
मेरा तेरा प्यार ही, हर पुस्तक का ज्ञान
दुःख ने दुःख से बात की, बिन चिट्ठी बिन तार
छोटा करके देखिये, जीवन का विस्तार
आँखों भर आकाश है, बाँहों भर संसार
ले के तन के नाप को, घूमे बस्ती गाँव
हर चादर के घेर से, बाहर निकले पाँव
सब की पूजा एक सी, अलग अलग हर रीत
मस्ज़िद जाए मौलवी, कोयल गाए गीत
पूजा-घर में मूर्ति, मीरा के संग श्याम
जिसकी जितनी चाकरी, उतने उसके दाम
नदिया सींचे खेत को, तोता कुतरे आम
सूरज ठेकेदार सा, सबको बाँटे काम
सातों दिन भगवान के, क्या मंगल क्या पीर
जिस दिन सोए देर तक, भूखा रहे फ़क़ीर
अच्छी संगत बैठकर, संगी बदले रूप
जैसे मिलकर आम से, मीठी हो गयी धूप
सपना झरना नींद का, जागी आँखें प्यास
पाना, खोना, खोजना, सांसो का इतिहास
चाहे गीता बाँचिये, या पढ़िये कुरान
मेरा तेरा प्यार ही, हर पुस्तक का ज्ञान
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By: Jagjit Singh
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