शुक्रवार, 20 मार्च 2015

Ghar Se Hum Nikle The, Masjid Ki Taraf Jaaney Ko


Ghar Se Hum Nikle The, Masjid Ki Taraf Jaaney Ko,
Rind Behkate Hame Le Gaye Maye Khane Ko,

Yeh Jaba Chalti Hai Na Se, Ke Churi Chalti Hai,
Zeba Karne Mujhe Aya Hai, Ke Samjhane Ko,

Aaj Kuch Aur Bhi Pi Lu, Ke Suna Hai Maine,
Aate Hai Hazrat - E - Waiz, Mera Samzhane Ko,

Hat Gayi Ariz - E - Roshan Se, Tumhare Jo Nakab,
Raat Bhar Shama Se, Nafrat Rahi Dewane Ko

Album: Eternity (1978)
By: Jagjit Singh
Lyrics: Rajesh Reddy
­
घर से हम निकले थे मस्जिद की तरफ़ जाने को
रिंद बहका के हमें ले गये मैख़ाने को

ये ज़बाँ चलती है नासेह के छुरी चलती है
ज़िबह करने मुझे आया है के समझाने को
नासेह = धर्मोपदेशक
आज कुछ और भी पी लूँ के सुना है मैंने
आते हैं हज़रत-ए-वाइज़ मेरे समझाने को
वाइज़ - शिक्षक

हट गई आरिज़-ए-रौशन से तुम्हारे जो नक़ाब
रात भर शम्मा से नफ़रत रही दीवाने को
आरिज़ - गाल
Listen on YOUTUBE.Com
By: Jagjit Singh
 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें